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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

जानवर आदमी फ़रिश्ता ख़ुदा
आदमी की हैं सैकड़ों क़िस्में

barbaric and human, angelic, divine
man, by many names, one may well define

अल्ताफ़ हुसैन हाली




आँखें दिखलाते हो जोबन तो दिखाओ साहब
वो अलग बाँध के रक्खा है जो माल अच्छा है

show me not your anger dear show me your youthful prime
the wealth that you have covered up is truly sublime

अमीर मीनाई




बाद मरने के भी छोड़ी न रिफ़ाक़त मेरी
मेरी तुर्बत से लगी बैठी है हसरत मेरी

even after death my love did not forsake
at my grave my desires kept a steady wake

अमीर मीनाई




बाक़ी न दिल में कोई भी या रब हवस रहे
चौदह बरस के सिन में वो लाखों बरस रहे

O lord no other lust may this heart contain
at this tender age may forever she remain

अमीर मीनाई




हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी
क्यूँ तुम आसान समझते थे मोहब्बत मेरी

seeing my condition, she laughs and asks of me
"Easy did you then imagine, loving me would be?"

अमीर मीनाई




है जवानी ख़ुद जवानी का सिंगार
सादगी गहना है इस सिन के लिए

youthfullness is itself an ornament forsooth
innocence is the only jewel needed in ones youth

अमीर मीनाई




जवाँ होने लगे जब वो तो हम से कर लिया पर्दा
हया यक-लख़्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता

as she came of age she started to be veiled from me
shyness came to her at once, beauty then slowly

अमीर मीनाई