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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

करता मैं दर्दमंद तबीबों से क्या रुजूअ
जिस ने दिया था दर्द बड़ा वो हकीम था

for my pain how could I seek, from doctors remedy
the one who caused this ache, a healer great was he

अमीर मीनाई




कौन सी जा है जहाँ जल्वा-ए-माशूक़ नहीं
शौक़-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर

where in this world does ones beloved's beauty not reside
if the zeal for sight you have, the vision too provide

अमीर मीनाई




कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद
याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद

after I am gone, your torture who will bear
you'll miss my devotion, when I am not there

अमीर मीनाई




किस ढिटाई से वो दिल छीन के कहते हैं 'अमीर'
वो मिरा घर है रहे जिस में मोहब्बत मेरी

stubbornly she snatches at my heart and says
this is my house as it is where my affection stays

अमीर मीनाई




लुत्फ़ आने लगा जफ़ाओं में
वो कहीं मेहरबाँ न हो जाए

I've started to enjoy her tortures by and by
I hope she doesn't now decide to

अमीर मीनाई




मानी हैं मैं ने सैकड़ों बातें तमाम उम्र
आज आप एक बात मेरी मान जाइए

All my life I have agreed to everything you say
merely one request of mine please accept today

अमीर मीनाई




मुश्किल बहुत पड़ेगी बराबर की चोट है
आईना देखिएगा ज़रा देख-भाल के

a problem you will face, you'll find an equal there
look into the mirror with caution and with care

अमीर मीनाई