EN اردو
4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों पर
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें

the acts for which today I've been crucified around
if prescribed tomorrow, then why should it astound

अहमद फ़राज़




अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

should we now be parted, in dreams we might be found
like dried flowers found in books, fragile, fraying browned

अहमद फ़राज़




अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उमीदें
ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ

my heart is optimistic yet, its hopes are still alive
come to snuff it out, let not this final flame survive

अहमद फ़राज़




ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें

seek ye pearls of faithfulness in those lost and drowned
it well could be these treasures in wastelands do abound

अहमद फ़राज़




ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें

let love's longing with the ache of existence compound
when spirits intermingle the euphoria is profound

अहमद फ़राज़




जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया
अब तुम तो ज़िंदगी की दुआएँ मुझे न दो

the poison I have partaken was served by you to me
now you at least cease to pray for my longevity

अहमद फ़राज़




मर गए प्यास के मारे तो उठा अब्र-ए-करम
बुझ गई बज़्म तो अब शम्अ जलाता क्या है

when the parched had died of thirst, then the flagon came
the gathering is extinguished now why do you light the flame?

अहमद फ़राज़