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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

पैदा हुआ वकील तो शैतान ने कहा
लो आज हम भी साहिब-ए-औलाद हो गए

seeing the lawyer born, satan was moved to say
lo and behold I have become a father today

अकबर इलाहाबादी




रहता है इबादत में हमें मौत का खटका
हम याद-ए-ख़ुदा करते हैं कर ले न ख़ुदा याद

As I pray I am afraid that death should not befall
While I do remember God, he should not recall

अकबर इलाहाबादी




वस्ल हो या फ़िराक़ हो 'अकबर'
जागना रात भर मुसीबत है

whether in blissful union or in separation
staying up all night, is a botheration

अकबर इलाहाबादी




ये दिलबरी ये नाज़ ये अंदाज़ ये जमाल
इंसाँ करे अगर न तिरी चाह क्या करे

this loveliness, this mischief, this style this beauty too
what can a person do save fall in love with you

अकबर इलाहाबादी




चमन में रहने वालों से तो हम सहरा-नशीं अच्छे
बहार आ के चली जाती है वीरानी नहीं जाती

we desert dwellers have a stable state
compared to those that in gardens stay

अख़्तर शीरानी




काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें
फूलों का क्या जो साँस की गर्मी न सह सकें

befriend the thorns for they will be loyal until death
what of these flowers that will wilt with just a burning breath

अख़्तर शीरानी




मक़तल-ए-शौक़ के आदाब निराले हैं बहुत
दिल भी क़ातिल को दिया करते हैं सर से पहले

love's killing grounds has etiquette that is truly apart
before the killer takes your head you have to give your heart

अली सरदार जाफ़री