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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

क़त्ल हो तो मेरा सा मौत हो तो मेरी सी
मेरे सोगवारों में आज मेरा क़ातिल है

Today amongst my mourners, my murderer too grieves
A death, a murder as was mine, all lovers should attain

अमीर क़ज़लबाश




हम ने पाला मुद्दतों पहलू में हम कोई नहीं
तुम ने देखा इक नज़र से दिल तुम्हारा हो गया

I nurtured it for ages but, it was nought to me
you saw it but a moment and it was your property

अमीरुल्लाह तस्लीम




वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुर्सत
हमें गुनाह भी करने को ज़िंदगी कम है

who are those that seem to find the time for to repent
for us this life is too short to sin to heart's content

आनंद नारायण मुल्ला




चाहत के बदले में हम बेच दें अपनी मर्ज़ी तक
कोई मिले तो दिल का गाहक कोई हमें अपनाए तो

in exchange for love I'd trade my freedom I confess
if a buyer could be found who would my heart possess

अंदलीब शादानी




देर लगी आने में तुम को शुक्र है फिर भी आए तो
आस ने दिल का साथ न छोड़ा वैसे हम घबराए तो

Am grateful you came finally, though you were delayed
hope had not forsaken me, though must say was afraid

अंदलीब शादानी




झूट है सब तारीख़ हमेशा अपने को दुहराती है
अच्छा मेरा ख़्वाब-ए-जवानी थोड़ा सा दोहराए तो

that history doth repeat itself has no shred of truth
if it does so let it then return to me my youth

अंदलीब शादानी




अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी
तिरा रिंद गिरते गिरते कहीं फिर सँभल न जाए

as yet the night does linger on do not remove your veil
lest your besotten follower re-gains stability

अनवर मिर्ज़ापुरी