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मोहब्बत शायरी | शाही शायरी

मोहब्बत

86 शेर

वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा

परवीन शाकिर




तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे

क़ैसर-उल जाफ़री




ज़िंदगी भर के लिए रूठ के जाने वाले
मैं अभी तक तिरी तस्वीर लिए बैठा हूँ

क़ैसर-उल जाफ़री




आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ

क़तील शिफ़ाई




चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते

twas a good thing that my madness was to some avail
else, for my state, what other reason could the world I show?

क़तील शिफ़ाई




दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं
लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं

क़तील शिफ़ाई




गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं
हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं

I burn up in the flames of unfulfilled desire
like lanterns are, at eventide I am set afire

क़तील शिफ़ाई