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मोहब्बत शायरी | शाही शायरी

मोहब्बत

86 शेर

जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊर आ जाता है

साहिर लुधियानवी




तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ

साहिर लुधियानवी




मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है
सर-ए-आईना मिरा अक्स है पस-ए-आईना कोई और है

I am someone else's thought, someone else brings me to mind
my image in the mirror wrought, someone else is there behind

सलीम कौसर




अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे
मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले

सालिम सलीम




मैं घटता जा रहा हूँ अपने अंदर
तुम्हें इतना ज़ियादा कर लिया है

सालिम सलीम




कोई ऐ 'शकील' पूछे ये जुनूँ नहीं तो क्या है
कि उसी के हो गए हम जो न हो सका हमारा

But for madness what is this, can anyone divine?
I am hers forevermore, who never can be mine

शकील बदायुनी




मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे

My companion, my intimate, be not a friend and yet betray
The pain of love is fatal now, for my life please do not pray

शकील बदायुनी