हर मुलाक़ात पे सीने से लगाने वाले
कितने प्यारे हैं मुझे छोड़ के जाने वाले
विपुल कुमार
इक रोज़ खेल खेल में हम उस के हो गए
और फिर तमाम उम्र किसी के नहीं हुए
विपुल कुमार
86 शेर
हर मुलाक़ात पे सीने से लगाने वाले
कितने प्यारे हैं मुझे छोड़ के जाने वाले
विपुल कुमार
इक रोज़ खेल खेल में हम उस के हो गए
और फिर तमाम उम्र किसी के नहीं हुए
विपुल कुमार