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मोहब्बत शायरी | शाही शायरी

मोहब्बत

86 शेर

तुम मिरे पास होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता

in such a manner are you close to me
when no one else at all there ever be

मोमिन ख़ाँ मोमिन




ऐ दिल तमाम नफ़अ' है सौदा-ए-इश्क़ में
इक जान का ज़ियाँ है सो ऐसा ज़ियाँ नहीं

मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा




आज देखा है तुझ को देर के बअ'द
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं

नासिर काज़मी




आरज़ू है कि तू यहाँ आए
और फिर उम्र भर न जाए कहीं

नासिर काज़मी




ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी

नासिर काज़मी




दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया

नासिर काज़मी




होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है

निदा फ़ाज़ली