तुझ से बिछड़ना कोई नया हादसा नहीं
ऐसे हज़ारों क़िस्से हमारी ख़बर में हैं
आशुफ़्ता चंगेज़ी
उस से पूछो अज़ाब रस्तों का
जिस का साथी सफ़र में बिछड़ा है
अब्बास दाना
ये सच है उस से बिछड़ कर मुझे ज़माना हुआ
मगर वो लौटना चाहे तो फिर ज़माना भी क्या
अबुल हसनात हक़्क़ी
न बहलावा न समझौता जुदाई सी जुदाई है
'अदा' सोचो तो ख़ुशबू का सफ़र आसाँ नहीं होता
अदा जाफ़री
तुम्हारे हिज्र में क्यूँ ज़िंदगी न मुश्किल हो
तुम्हीं जिगर हो तुम्हीं जान हो तुम्हीं दिल हो
अफ़सर इलाहाबादी
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
should we now be parted, in dreams we might be found
like dried flowers found in books, fragile, fraying browned
अहमद फ़राज़
ब-ज़ाहिर एक ही शब है फ़िराक़-ए-यार मगर
कोई गुज़ारने बैठे तो उम्र सारी लगे
अहमद फ़राज़