हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें
शहरयार
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दम-ए-रुख़्सत वो चुप रहे 'आबिद'
आँख में फैलता गया काजल
सय्यद आबिद अली आबिद