लगी रहती है अश्कों की झड़ी गर्मी हो सर्दी हो
नहीं रुकती कभी बरसात जब से तुम नहीं आए
अनवर शऊर
हर इश्क़ के मंज़र में था इक हिज्र का मंज़र
इक वस्ल का मंज़र किसी मंज़र में नहीं था
अक़ील अब्बास जाफ़री
इक रौशनी सी दिल में थी वो भी नहीं रही
वो क्या गए चराग़-ए-तमन्ना बुझा गए
अर्श मलसियानी
हालात ने किसी से जुदा कर दिया मुझे
अब ज़िंदगी से ज़िंदगी महरूम हो गई
असद भोपाली
इक शक्ल हमें फिर भाई है इक सूरत दिल में समाई है
हम आज बहुत सरशार सही पर अगला मोड़ जुदाई है
अतहर नफ़ीस
ख़लल-पज़ीर हुआ रब्त-ए-मेहर-ओ-माह में वक़्त
बता ये तुझ से जुदाई का वक़्त है कि नहीं
अज़ीज़ हामिद मदनी
ख़ुद चले आओ या बुला भेजो
रात अकेले बसर नहीं होती
अज़ीज़ लखनवी