नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
जौन एलिया
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तो क्या सच-मुच जुदाई मुझ से कर ली
तो ख़ुद अपने को आधा कर लिया क्या
जौन एलिया
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साँस लेने में दर्द होता है
अब हवा ज़िंदगी की रास नहीं
जिगर बरेलवी
तुम नहीं पास कोई पास नहीं
अब मुझे ज़िंदगी की आस नहीं
जिगर बरेलवी
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं
जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं
जिगर मुरादाबादी
ग़म दे गया नशात-ए-शनासाई ले गया
वो अपने साथ अपनी मसीहाई ले गया
जुनैद हज़ीं लारी
तिरी तलाश में निकले तो इतनी दूर गए
कि हम से तय न हुए फ़ासले जुदाई के
जुनैद हज़ीं लारी