EN اردو
हुस्न शायरी | शाही शायरी

हुस्न

110 शेर

इश्क़ भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में
या तो ख़ुद आश्कार हो या मुझे आश्कार कर

अल्लामा इक़बाल




जी चाहता है साने-ए-क़ुदरत पे हूँ निसार
बुत को बिठा के सामने याद-ए-ख़ुदा करूँ

अमानत लखनवी




कौन सी जा है जहाँ जल्वा-ए-माशूक़ नहीं
शौक़-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर

where in this world does ones beloved's beauty not reside
if the zeal for sight you have, the vision too provide

अमीर मीनाई




जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें
ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही

अमजद इस्लाम अमजद




चराग़ चाँद शफ़क़ शाम फूल झील सबा
चुराईं सब ने ही कुछ कुछ शबाहतें तेरी

अंजुम इरफ़ानी




हुस्न हर हाल में है हुस्न परागंदा नक़ाब
कोई पर्दा है न चिलमन ये कोई क्या जाने

अर्श मलसियानी




अल्लाह अल्लाह हुस्न की ये पर्दा-दारी देखिए
भेद जिस ने खोलना चाहा वो दीवाना हुआ

आरज़ू लखनवी