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हुस्न शायरी | शाही शायरी

हुस्न

110 शेर

तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है

साहिर लुधियानवी




आईना ले के देख ज़रा अपने हुस्न को
आएगी ये बहार-ए-गुलिस्ताँ ख़िज़ाँ में याद

शाह नसीर




चाँद से तुझ को जो दे निस्बत सो बे-इंसाफ़ है
चाँद के मुँह पर हैं छाईं तेरा मुखड़ा साफ़ है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




हुस्न आईना फ़ाश करता है
ऐसे दुश्मन को संगसार करो

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




सितम-नवाज़ी-ए-पैहम है इश्क़ की फ़ितरत
फ़ुज़ूल हुस्न पे तोहमत लगाई जाती है

शकील बदायुनी