तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
जौन एलिया
साँस लेने में दर्द होता है
अब हवा ज़िंदगी की रास नहीं
जिगर बरेलवी
तुम नहीं पास कोई पास नहीं
अब मुझे ज़िंदगी की आस नहीं
जिगर बरेलवी
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं
जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं
जिगर मुरादाबादी
आज न जाने राज़ ये क्या है
हिज्र की रात और इतनी रौशन
जिगर मुरादाबादी
मिरी ज़िंदगी तो गुज़री तिरे हिज्र के सहारे
मिरी मौत को भी प्यारे कोई चाहिए बहाना
जिगर मुरादाबादी
यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैर
जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
जिगर मुरादाबादी