तुम नहीं पास कोई पास नहीं
अब मुझे ज़िंदगी की आस नहीं
कश्मकश में न रूह पड़ जाए
यूँ तो मरने का कुछ हिरास नहीं
लाला-ओ-गुल बुझा सकें जिस को
इश्क़ की प्यास ऐसी प्यास नहीं
उम्र सी उम्र हो गई बर्बाद
दिल-ए-नादाँ अबस उदास नहीं
साँस लेने में दर्द होता है
अब हवा ज़िंदगी की रास नहीं
राह में अपनी ख़ाक होने दे
और कुछ मेरी इल्तिमास नहीं
क्या बताऊँ मआल-ए-शौक़ 'जिगर'
आह क़ाएम मिरे हवास नहीं
ग़ज़ल
तुम नहीं पास कोई पास नहीं
जिगर बरेलवी