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प्रसिद्ध शायरी | शाही शायरी

प्रसिद्ध

248 शेर

नाला-ए-बुलबुल-ए-शैदा तो सुना हँस हँस कर
अब जिगर थाम के बैठो मिरी बारी आई

लाला माधव राम जौहर




इक बार तुझे अक़्ल ने चाहा था भुलाना
सौ बार जुनूँ ने तिरी तस्वीर दिखा दी

माहिर-उल क़ादरी




मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

मजरूह सुल्तानपुरी




आप की याद आती रही रात भर
चश्म-ए-नम मुस्कुराती रही रात भर

मख़दूम मुहिउद्दीन




इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे

मख़दूम मुहिउद्दीन




हम को किस के ग़म ने मारा ये कहानी फिर सही
किस ने तोड़ा दिल हमारा ये कहानी फिर सही

मसरूर अनवर




ख़ुदा के वास्ते इस को न टोको
यही इक शहर में क़ातिल रहा है

मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ