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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत के
आग़ाज़ भी रुस्वाई अंजाम भी रुस्वाई

सूफ़ी तबस्सुम




दिलों का ज़िक्र ही क्या है मिलें मिलें न मिलें
नज़र मिलाओ नज़र से नज़र की बात करो

सूफ़ी तबस्सुम




दिलों का ज़िक्र ही क्या है मिलें मिलें न मिलें
नज़र मिलाओ नज़र से नज़र की बात करो

सूफ़ी तबस्सुम




एक शोला सा उठा था दिल में
जाने किस की थी सदा याद नहीं

सूफ़ी तबस्सुम




हुस्न का दामन फिर भी ख़ाली
इश्क़ ने लाखों अश्क बिखेरे

सूफ़ी तबस्सुम




हुस्न का दामन फिर भी ख़ाली
इश्क़ ने लाखों अश्क बिखेरे

सूफ़ी तबस्सुम




इक फ़क़त याद है जाना उन का
और कुछ इस के सिवा याद नहीं

सूफ़ी तबस्सुम