वो तमाशा हूँ हज़ारों मिरे आईने हैं
एक आईने से मुश्किल है अयाँ हो जाऊँ
सिराजुद्दीन ज़फ़र
वो तमाशा हूँ हज़ारों मिरे आईने हैं
एक आईने से मुश्किल है अयाँ हो जाऊँ
सिराजुद्दीन ज़फ़र
मैं जुदाई का मुक़र्रर सिलसिला हो जाऊँगा
वो भी दिन आएगा जब ख़ुद से जुदा हो जाऊँगा
सुबोध लाल साक़ी
ये भी हुआ कि फ़ाइलों के दरमियाँ मिलीं
मुझ को कहाँ कहाँ मिरी तन्हाइयाँ मिलीं
सुबोध लाल साक़ी
ये भी हुआ कि फ़ाइलों के दरमियाँ मिलीं
मुझ को कहाँ कहाँ मिरी तन्हाइयाँ मिलीं
सुबोध लाल साक़ी
हम से पूछो न दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा
सुदर्शन फ़ाख़िर
हम से पूछो न दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा
सुदर्शन फ़ाख़िर