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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

वो तमाशा हूँ हज़ारों मिरे आईने हैं
एक आईने से मुश्किल है अयाँ हो जाऊँ

सिराजुद्दीन ज़फ़र




वो तमाशा हूँ हज़ारों मिरे आईने हैं
एक आईने से मुश्किल है अयाँ हो जाऊँ

सिराजुद्दीन ज़फ़र




मैं जुदाई का मुक़र्रर सिलसिला हो जाऊँगा
वो भी दिन आएगा जब ख़ुद से जुदा हो जाऊँगा

सुबोध लाल साक़ी




ये भी हुआ कि फ़ाइलों के दरमियाँ मिलीं
मुझ को कहाँ कहाँ मिरी तन्हाइयाँ मिलीं

सुबोध लाल साक़ी




ये भी हुआ कि फ़ाइलों के दरमियाँ मिलीं
मुझ को कहाँ कहाँ मिरी तन्हाइयाँ मिलीं

सुबोध लाल साक़ी




हम से पूछो न दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा

सुदर्शन फ़ाख़िर




हम से पूछो न दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा

सुदर्शन फ़ाख़िर