महसूस हो रहा है कि मैं ख़ुद सफ़र में हूँ
जिस दिन से रेल पर मैं तुझे छोड़ने गया
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
बस एक ख़ौफ़ था ज़िंदा तिरी जुदाई का
मिरा वो आख़िरी दुश्मन भी आज मारा गया
ख़ालिद मलिक साहिल
नहीं अब कोई ख़्वाब ऐसा तिरी सूरत जो दिखलाए
बिछड़ कर तुझ से किस मंज़िल पर हम तन्हा चले आए
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
टुक ख़बर ले कि हर घड़ी हम को
अब जुदाई बहुत सताती है
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
की तर्क-ए-मोहब्बत तो लिया दर्द-ए-जिगर मोल
परहेज़ से दिल और भी बीमार पड़ा है
लाला माधव राम जौहर
तुम्हें ख़याल नहीं किस तरह बताएँ तुम्हें
कि साँस चलती है लेकिन उदास चलती है
महबूब ख़िज़ां
दौलत-ए-ग़म भी ख़स-ओ-ख़ाक-ए-ज़माना में गई
तुम गए हो तो मह ओ साल कहाँ ठहरे हैं
महमूद अयाज़