मोहब्बत का उन को यक़ीं आ चला है 
हक़ीक़त बने जा रहे हैं फ़साने
महेश चंद्र नक़्श
इब्तिदा वो थी कि जीने के लिए मरता था मैं 
इंतिहा ये है कि मरने की भी हसरत न रही 
At the start, life prolonged,was my deep desire 
now at the end, even for death, I do not aspire
माहिर-उल क़ादरी
शम-ए-शब-ताब एक रात जली 
जलने वाले तमाम उम्र जले
महमूद अयाज़
मैं आ गया हूँ वहाँ तक तिरी तमन्ना में 
जहाँ से कोई भी इम्कान-ए-वापसी न रहे
महमूद गज़नी
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे 
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे
मख़दूम मुहिउद्दीन
तफ़रीक़ हुस्न-ओ-इश्क़ के अंदाज़ में न हो 
लफ़्ज़ों में फ़र्क़ हो मगर आवाज़ में न हो
मंज़र लखनवी
हम को किस के ग़म ने मारा ये कहानी फिर सही 
किस ने तोड़ा दिल हमारा ये कहानी फिर सही
मसरूर अनवर

