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इश्क शायरी | शाही शायरी

इश्क

422 शेर

जो कुछ पड़ती है सर पर सब उठाता है मोहब्बत में
जहाँ दिल आ गया फिर आदमी मजबूर होता है

लाला माधव राम जौहर




मोहब्बत को छुपाए लाख कोई छुप नहीं सकती
ये वो अफ़्साना है जो बे-कहे मशहूर होता है

लाला माधव राम जौहर




न वो सूरत दिखाते हैं न मिलते हैं गले आ कर
न आँखें शाद होतीं हैं न दिल मसरूर होता है

लाला माधव राम जौहर




सीने से लिपटो या गला काटो
हम तुम्हारे हैं दिल तुम्हारा है

लाला माधव राम जौहर




उस ने फिर कर भी न देखा मैं उसे देखा किया
दे दिया दिल राह चलते को ये मैं ने क्या किया

लाला माधव राम जौहर




यूँ मोहब्बत से जो चाहे कोई अपना कर ले
जो हमारा न हो उस के कहीं हम होते हैं

लाला माधव राम जौहर




बहुत दुश्वार थी राह-ए-मोहब्बत
हमारा साथ देते हम-सफ़र क्या

महेश चंद्र नक़्श