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गम शायरी | शाही शायरी

गम

108 शेर

ये ग़म नहीं है कि हम दोनों एक हो न सके
ये रंज है कि कोई दरमियान में भी न था

जमाल एहसानी




जम्अ' हम ने किया है ग़म दिल में
इस का अब सूद खाए जाएँगे

जौन एलिया




सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं

जौन एलिया




सारी दुनिया के रंज-ओ-ग़म दे कर
मुस्कुराने की बात करते हो

after giving me a world of pain
smiling then you ask me to remain

जावेद क़ुरैशी




ग़म से एहसास का आईना जिला पाता है
और ग़म सीखे है आ कर ये सलीक़ा मुझ से

जावेद वशिष्ट




दर्द ओ ग़म दिल की तबीअत बन गए
अब यहाँ आराम ही आराम है

the heart is accustomed to sorrow and pain
in lasting comfort now I can remain

जिगर मुरादाबादी




दिल गया रौनक़-ए-हयात गई
ग़म गया सारी काएनात गई

जिगर मुरादाबादी