अश्क-ए-ग़म दीदा-ए-पुर-नम से सँभाले न गए
ये वो बच्चे हैं जो माँ बाप से पाले न गए
मीर अनीस
क्या कहूँ किस तरह से जीता हूँ
ग़म को खाता हूँ आँसू पीता हूँ
मीर असर
ये ग़म-कदा है इस में 'मुबारक' ख़ुशी कहाँ
ग़म को ख़ुशी बना कोई पहलू निकाल के
मुबारक अज़ीमाबादी
मुसीबत और लम्बी ज़िंदगानी
बुज़ुर्गों की दुआ ने मार डाला
all these worldly troubles and longevity
blessings of the elders is the death of me
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है
जिस जगह रहिए वहाँ मिलते-मिलाते रहिए
निदा फ़ाज़ली
सुकून दे न सकीं राहतें ज़माने की
जो नींद आई तिरे ग़म की छाँव में आई
पयाम फ़तेहपुरी
ग़म की तौहीन न कर ग़म की शिकायत कर के
दिल रहे या न रहे अज़मत-ए-ग़म रहने दे
belittle not these sorrows, of them do not complain
their glory be preserved, tho heart may not remain
क़मर मुरादाबादी