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गम शायरी | शाही शायरी

गम

108 शेर

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें

let love's longing with the ache of existence compound
when spirits intermingle the euphoria is profound

अहमद फ़राज़




मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
ये ज़िंदगी की है सूरत तो ज़िंदगी क्या है

अहसन मारहरवी




दिल दबा जाता है कितना आज ग़म के बार से
कैसी तन्हाई टपकती है दर ओ दीवार से

अकबर हैदराबादी




ग़म अज़ीज़ों का हसीनों की जुदाई देखी
देखें दिखलाए अभी गर्दिश-ए-दौराँ क्या क्या

अख़्तर शीरानी




ज़िंदगी कितनी मसर्रत से गुज़रती या रब
ऐश की तरह अगर ग़म भी गवारा होता

अख़्तर शीरानी




हमें दुनिया में अपने ग़म से मतलब
ज़माने की ख़ुशी से वास्ता क्या

अलीम अख़्तर




वो तअल्लुक़ है तिरे ग़म से कि अल्लाह अल्लाह
हम को हासिल हो ख़ुशी भी तो गवारा न करें

अलीम अख़्तर