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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

कुछ नहीं बोला तो मर जाएगा अंदर से 'शुजाअ'
और अगर बोला तो फिर बाहर से मारा जाएगा

if silent I remain I will suffocate inside
and if I speak I will surely be crucified

शुजा ख़ावर




मत करो शम्अ कूँ बदनाम जलाती वो नहीं
आप सीं शौक़ पतंगों को है जल जाने का

cast not blame upon the flame it doesn’t burn to sear
the moths are

सिराज औरंगाबादी




मत करो शम्अ कूँ बदनाम जलाती वो नहीं
आप सीं शौक़ पतंगों को है जल जाने का

cast not blame upon the flame it doesn’t burn to sear
the moths are

सिराज औरंगाबादी




आँखें खुलीं तो जाग उठीं हसरतें तमाम
उस को भी खो दिया जिसे पाया था ख़्वाब में

as my eyes did ope my yearnings did rebound
for I lost the person who in my dreams I found

सिराज लखनवी




आँखें खुलीं तो जाग उठीं हसरतें तमाम
उस को भी खो दिया जिसे पाया था ख़्वाब में

as my eyes did ope my yearnings did rebound
for I lost the person who in my dreams I found

सिराज लखनवी




आशिक़ी हो कि बंदगी 'फ़ाख़िर'
बे-दिली से तो इब्तिदा न करो

worship, love whatever be
begin it not half-heartedly

सुदर्शन फ़ाख़िर




देखने वालो तबस्सुम को करम मत समझो
उन्हें तो देखने वालों पे हँसी आती है

do not deem her smile to be a sign of grace
she mocks those poor souls who've looked upon her face

सुदर्शन फ़ाख़िर