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मेरे दुख की कोई दवा न करो | शाही शायरी
mere dukh ki koi dawa na karo

ग़ज़ल

मेरे दुख की कोई दवा न करो

सुदर्शन फ़ाख़िर

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मेरे दुख की कोई दवा न करो
मुझ को मुझ से अभी जुदा न करो

my sorrows no one should allay
keep not me from my self away

नाख़ुदा को ख़ुदा कहा है तो फिर
डूब जाओ ख़ुदा ख़ुदा न करो

if captain to be Lord you think
don’t call to God, tis better sink

ये सिखाया है दोस्ती ने हमें
दोस्त बन कर कभी वफ़ा न करो

friendship has taught this to me
in friendship don’t bear loyalty

इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो

love is love, no joke at all
Rashly, do not make a call

आशिक़ी हो कि बंदगी 'फ़ाकिर'
बे-दिली से तो इब्तिदा न करो

worship, love whatever be
begin it not half-heartedly