अहल-ए-उल्फ़त के हवालों पे हँसी आती है
लैला मजनूँ की मिसालों पे हँसी आती है
I scoff at stories of sincerity
I mock the models of fidelity
जब भी तकमील-ए-मोहब्बत का ख़याल आता है
मुझ को अपने ही ख़यालों पे हँसी आती है
when thoughts of love's fulfillment arise
my thoughts are a source of mirth to me
लोग अपने लिए औरों में वफ़ा ढूँडते हैं
उन वफ़ा ढूँडने वालों पे हँसी आती है
By those hapless seekers I'm amused
That in others, look for constancy
देखने वालो तबस्सुम को करम मत समझो
उन्हें तो देखने वालों पे हँसी आती है
Favours, do not think her smiles to be
she mocks them all who look on hopefully
चाँदनी रात मोहब्बत में हसीं थी 'फ़ाकिर'
अब तो बीमार उजालों पे हँसी आती है
Starry nights, in love, brought me joy
I now just smile at daylight's frailty
ग़ज़ल
अहल-ए-उल्फ़त के हवालों पे हँसी आती है
सुदर्शन फ़ाख़िर