EN اردو
4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

मिलेगी शैख़ को जन्नत हमें दोज़ख़ अता होगा
बस इतनी बात है जिस बात पर महशर बपा होगा

the priest to paradise, and I to hell arraigned
will, on such a trifle, be judgement day ordained?

हरी चंद अख़्तर




कहीं वो आ के मिटा दें न इंतिज़ार का लुत्फ़
कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी

let her not come to me and this pleasure destroy
let not my prayers be answered, for waiting is a joy

हसरत जयपुरी




ऐसे बिगड़े कि फिर जफ़ा भी न की
दुश्मनी का भी हक़ अदा न हुआ

she was so annoyed she did not even torment me
in doing so denied what was due to enmity

हसरत मोहानी




बर्क़ को अब्र के दामन में छुपा देखा है
हम ने उस शोख़ को मजबूर-ए-हया देखा है

hidden midst the clouds, lightning I did see
that sprite was today subdued by modesty

हसरत मोहानी




देखा किए वो मस्त निगाहों से बार बार
जब तक शराब आई कई दौर हो गए

she often looks my way with her intoxicating eyes
many rounds are done even before the wine arrives

हसरत मोहानी




वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

fealty I seek from you, O my faithless friend
behold my innocence and, see what I intend

हसरत मोहानी




देखूँगा किस क़दर तिरी रहमत में जोश है
परवरदिगार मुझ को गुनाहों का होश है

i will see to what extent your mercy is sublime
my lord I am aware of the nature of my crime

हीरा लाल फ़लक देहलवी