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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

इबादत ख़ुदा की ब-उम्मीद-ए-हूर
मगर तुझ को ज़ाहिद हया कुछ नहीं

you pray to God, hoping for virgins in paradise
yet no speck of shame can I fathom in your eyes

इम्दाद इमाम असर




आप का लहजा शहद जैसा तरन्नुम-ख़ेज़ है
ख़ामुशी अब तोड़िए और बोलिए मेरे लिए

Your accent is sweet as honey and melodious too
Break your silence now and say aomething, for me

इन्दिरा वर्मा




अभी से कैसे कहूँ तुम को बेवफ़ा साहब
अभी तो अपने सफ़र की है इब्तिदा साहब

How can I call you unfaithful already
When this is only the beginning of our journey, saha

इन्दिरा वर्मा




बहार आई तो खुल कर कहा है फूलों ने
ये किस ने छेड़ दी गुलशन में फिर जमाल की बात

With the coming of spring, flowers have burst into speech
Who has again spread this tale of beauty in the garden

इन्दिरा वर्मा




बहारों के आँचल में ख़ुश-बू छुपी है
गुलों की क़बा में भरे हैं सभी रंग

The fragrance swings in the apron of spring
The raiments of flowers are filled with all the colours

इन्दिरा वर्मा




कैसे सहरा में भटकता है मिरा तिश्ना-लब
कैसी बस्ती है जहाँ मिलता नहीं पानी तक

What is the desert where my parched lips wander
What is this place where no water is to be found

इन्दिरा वर्मा




किस ख़ता की सज़ा मिली उस को
किस लिए रोज़ घटता बढ़ता है

For what fault is he being so punished
That he must wax and wane every night

इन्दिरा वर्मा