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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

किताब-ए-ज़ीस्त का उनवान बन गए हो तुम
हमारे प्यार की देखो ये इंतिहा साहब

You have become the title of the book of life
Such is the extent of my love, saha

इन्दिरा वर्मा




मिरी चाहतों में ग़ुरूर हो दिल-ए-ना-तवाँ में सुरूर हो
तुम्हें अब के खाना है वो क़सम कि फ़रेब में भी यक़ीन हो

Let there be pride in my loves and intoxication in my frail heart
This time you must take that vow so we may believe in deceit too

इन्दिरा वर्मा




रौशनी फूट निकली मिसरों से
चाँद को जब ग़ज़ल में सोचा है

Rediance burst out of my verses
When I potray the moon in my ghazals

इन्दिरा वर्मा




शाख़-दर-शाख़ होती है ज़ख़्मी
जब परिंदा शिकार होता है

Branch after branch gets wounded
When the bird becomes the prey

इन्दिरा वर्मा




शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो
न हो जब हम-सफ़र कोई तो अपना भी सफ़र क्यूँ हो

Broken herted, why is the traveler alone in the dark night
When there is no one to walk beside, why am I on this journey

इन्दिरा वर्मा




सिला दिया है मोहब्बत का तुम ने ये कैसा
मसर्रतों में भी रोने लगी हैं अब आँखें

What is this reward you have given for loving you
Even in the midst of happiness they cry, these eyes

इन्दिरा वर्मा




तुम्हारे बिना सब अधूरे हैं जानाँ
सबा फूल ख़ुश-बू चमन रौशनी रंग

My dearest, without you everything is incomplete
The morning breeze, flowers, fragrances, garden, light, colours

इन्दिरा वर्मा