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शकील बदायुनी शायरी | शाही शायरी

शकील बदायुनी शेर

85 शेर

बे-तअल्लुक़ तिरे आगे से गुज़र जाता है
ये भी इक हुस्न-ए-तलब है तिरे दीवाने का

शकील बदायुनी




आप जो कुछ कहें हमें मंज़ूर
नेक बंदे ख़ुदा से डरते हैं

शकील बदायुनी




बुज़-दिली होगी चराग़ों को दिखाना आँखें
अब्र छट जाए तो सूरज से मिलाना आँखें

would be cowardice to stare down at the flame
let the clouds disperse then look upon the sun

शकील बदायुनी




चाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल
हौसला किस का बढ़ाता है कोई

शकील बदायुनी




छुपे हैं लाख हक़ के मरहले गुम-नाम होंटों पर
उसी की बात चल जाती है जिस का नाम चलता है

शकील बदायुनी




दिल की बर्बादियों पे नाज़ाँ हूँ
फ़तह पा कर शिकस्त खाई है

शकील बदायुनी




दिल की तरफ़ 'शकील' तवज्जोह ज़रूर हो
ये घर उजड़ गया तो बसाया न जाएगा

शकील बदायुनी




दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ
छेड़ो न मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँ

शकील बदायुनी




दुश्मनों को सितम का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं

शकील बदायुनी