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शकील बदायुनी शायरी | शाही शायरी

शकील बदायुनी शेर

85 शेर

हर चीज़ नहीं है मरकज़ पर इक ज़र्रा इधर इक ज़र्रा उधर
नफ़रत से न देखो दुश्मन को शायद वो मोहब्बत कर बैठे

शकील बदायुनी




हर दिल में छुपा है तीर कोई हर पाँव में है ज़ंजीर कोई
पूछे कोई इन से ग़म के मज़े जो प्यार की बातें करते हैं

शकील बदायुनी




जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई
दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई

शकील बदायुनी




जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील'
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया

Whenever talk of happiness I hear
My failure and frustration makes me weep

शकील बदायुनी




जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं
ज़हर पी कर दवा से डरते हैं

शकील बदायुनी




काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर
फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ

शकील बदायुनी




काफ़ी है मिरे दिल की तसल्ली को यही बात
आप आ न सके आप का पैग़ाम तो आया

शकील बदायुनी




कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल
मुझे आज़मा रहा है कोई रुख़ बदल बदल कर

शकील बदायुनी




कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है

शकील बदायुनी