जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील'
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया
Whenever talk of happiness I hear
My failure and frustration makes me weep
शकील बदायुनी
जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई
दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई
शकील बदायुनी
हर दिल में छुपा है तीर कोई हर पाँव में है ज़ंजीर कोई
पूछे कोई इन से ग़म के मज़े जो प्यार की बातें करते हैं
शकील बदायुनी
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हर चीज़ नहीं है मरकज़ पर इक ज़र्रा इधर इक ज़र्रा उधर
नफ़रत से न देखो दुश्मन को शायद वो मोहब्बत कर बैठे
शकील बदायुनी
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