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शकील बदायुनी शायरी | शाही शायरी

शकील बदायुनी शेर

85 शेर

ग़म-ए-उम्र-ए-मुख़्तसर से अभी बे-ख़बर हैं कलियाँ
न चमन में फेंक देना किसी फूल को मसल कर

शकील बदायुनी




ग़म-ए-हयात भी आग़ोश-ए-हुस्न-ए-यार में है
ये वो ख़िज़ाँ है जो डूबी हुई बहार में है

शकील बदायुनी




ग़म की दुनिया रहे आबाद 'शकील'
मुफ़लिसी में कोई जागीर तो है

शकील बदायुनी




दुश्मनों को सितम का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं

शकील बदायुनी




दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ
छेड़ो न मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँ

शकील बदायुनी




दिल की तरफ़ 'शकील' तवज्जोह ज़रूर हो
ये घर उजड़ गया तो बसाया न जाएगा

शकील बदायुनी




दिल की बर्बादियों पे नाज़ाँ हूँ
फ़तह पा कर शिकस्त खाई है

शकील बदायुनी




छुपे हैं लाख हक़ के मरहले गुम-नाम होंटों पर
उसी की बात चल जाती है जिस का नाम चलता है

शकील बदायुनी




चाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल
हौसला किस का बढ़ाता है कोई

शकील बदायुनी