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Tasweer शायरी | शाही शायरी

Tasweer

41 शेर

ख़ामुशी तेरी मिरी जान लिए लेती है
अपनी तस्वीर से बाहर तुझे आना होगा

मोहम्मद अली साहिल




कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए
उस की तस्वीर हटा दी जाए

मोहम्मद अल्वी




ताब-ए-नज़्ज़ारा नहीं आइना क्या देखने दूँ
और बन जाएँगे तस्वीर जो हैराँ होंगे

how can I let her see the mirror, she lacks strength to see
a picture she'll herself become, stunned by the imagery

मोमिन ख़ाँ मोमिन




कहीं ऐसा न हो कम-बख़्त में जान आ जाए
इस लिए हाथ में लेते मिरी तस्वीर नहीं

मुबारक अज़ीमाबादी




रंग दरकार थे हम को तिरी ख़ामोशी के
एक आवाज़ की तस्वीर बनानी थी हमें

नाज़िर वहीद




कह रही है ये तिरी तस्वीर भी
मैं किसी से बोलने वाली नहीं

नूह नारवी




ज़िंदगी भर के लिए रूठ के जाने वाले
मैं अभी तक तिरी तस्वीर लिए बैठा हूँ

क़ैसर-उल जाफ़री