तिरी ख़ुशी से अगर ग़म में भी ख़ुशी न हुई
वो ज़िंदगी तो मोहब्बत की ज़िंदगी न हुई
जिगर मुरादाबादी
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
जिगर मुरादाबादी
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया
जोश मलीहाबादी
कोई आया तिरी झलक देखी
कोई बोला सुनी तिरी आवाज़
जोश मलीहाबादी
इश्क़ उस दर्द का नहीं क़ाइल
जो मुसीबत की इंतिहा न हुआ
जोश मलसियानी
हुस्न और इश्क़ का मज़कूर न होवे जब तक
मुझ को भाता नहीं सुनना किसी अफ़्साने का
जोशिश अज़ीमाबादी
इश्क़ है जी का ज़ियाँ इश्क़ में रक्खा क्या है
दिल-ए-बर्बाद बता तेरी तमन्ना क्या है
जुनैद हज़ीं लारी