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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँडो
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है

a reason to indict me, you need hardly pursue
is it not cause enough I fell in love with you

साहिर लुधियानवी




जो मिरी रियाज़त-ए-नीम-शब को 'सलीम' सुब्ह न मिल सकी
तो फिर इस के मअ'नी तो ये हुए कि यहाँ ख़ुदा कोई और है

if for my midnight prayers, Saliim, a dawn there shall never be
then it means that in this world there is a God other than thee

सलीम कौसर




जो मिरी रियाज़त-ए-नीम-शब को 'सलीम' सुब्ह न मिल सकी
तो फिर इस के मअ'नी तो ये हुए कि यहाँ ख़ुदा कोई और है

if for my midnight prayers, Saliim, a dawn there shall never be
then it means that in this world there is a God other than thee

सलीम कौसर




मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है
सर-ए-आईना मिरा अक्स है पस-ए-आईना कोई और है

I am someone else's thought, someone else brings me to mind
my image in the mirror wrought, someone else is there behind

सलीम कौसर




मैं किसी के दस्त-ए-तलब में हूँ तो किसी के हर्फ़-ए-दुआ में हूँ
मैं नसीब हूँ किसी और का मुझे माँगता कोई और है

I am in someone's outstretched hand, and in someone's prayer prayer I be
I am someone's destiny but someone else does ask for me

सलीम कौसर




मिरी रौशनी तिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल से मुख़्तलिफ़ तो नहीं मगर
तू क़रीब आ तुझे देख लूँ तू वही है या कोई और है

tho my sight unconversant with your features may not be
if or not you are the same come close and let me see,

सलीम कौसर




मिरी रौशनी तिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल से मुख़्तलिफ़ तो नहीं मगर
तू क़रीब आ तुझे देख लूँ तू वही है या कोई और है

tho my sight unconversant with your features may not be
if or not you are the same come close and let me see,

सलीम कौसर