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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

मैं अभी उस के तसव्वुर में मगन हूँ 'राशिद'
वो भी आ जाए तो कह दो अभी बाहर ठहरे

Raashid in my thoughts does she so deeply reside
even if she were to arrive tell her to wait outside

राशिद हामिदी




मैं अभी उस के तसव्वुर में मगन हूँ 'राशिद'
वो भी आ जाए तो कह दो अभी बाहर ठहरे

Raashid in my thoughts does she so deeply reside
even if she were to arrive tell her to wait outside

राशिद हामिदी




महरूमियों का अपनी न शिकवा हो क्यूँ हमें
कुछ लोग पी के ही नहीं छलका के आए हैं

for all my deprivations why shouldn't I
not only have some people sipped, they've also spilled the wine

रज़ा अमरोहवी




आ अंदलीब मिल के करें आह-ओ-ज़ारियाँ
तू हाए गुल पुकार मैं चिल्लाऊँ हाए दिल

in one voice, o nightingale, the heavens let us rent
you cry out for the flowers and, I for mine heart lament

रिन्द लखनवी




आ अंदलीब मिल के करें आह-ओ-ज़ारियाँ
तू हाए गुल पुकार मैं चिल्लाऊँ हाए दिल

in one voice, o nightingale, the heavens let us rent
you cry out for the flowers and, I for mine heart lament

रिन्द लखनवी




अपने मरने का अगर रंज मुझे है तो ये है
कौन उठाएगा तिरी जौर ओ जफ़ा मेरे बाद

of death the only regret I profess
is who will you then torture and oppress

रिन्द लखनवी




भर भर के जाम बज़्म में छलकाए जाते हैं
हम उन में हैं जो दूर से तरसाए जाते हैं

cups are filled with wine and sprinkled in her domain
I am at a distance kept and thirsting I remain

रियाज़ ख़ैराबादी