EN اردو
4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

तलातुम का एहसान क्यूँ हम उठाएँ
हमें डूबने को किनारा बहुत है

why should I take a favour, from the stormy sea
to sink the shoreside shallows do suffice for me

साहिर भोपाली




हम को अग़्यार का गिला क्या है
ज़ख़्म खाएँ हैं हम ने यारों से

why should enemies be my reason to complain
when at the hands of friends, I have suffered pain

साहिर होशियारपुरी




हम को अग़्यार का गिला क्या है
ज़ख़्म खाएँ हैं हम ने यारों से

why should enemies be my reason to complain
when at the hands of friends, I have suffered pain

साहिर होशियारपुरी




अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं
तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी

at my own destruction I do not moan or weep
for faith at least with someone, you managed to keep

साहिर लुधियानवी




बे पिए ही शराब से नफ़रत
ये जहालत नहीं तो फिर क्या है

without drinking, to abhor wine so
what is this if not igorant stupidity

साहिर लुधियानवी




जान-ए-तन्हा पे गुज़र जाएँ हज़ारों सदमे
आँख से अश्क रवाँ हों ये ज़रूरी तो नहीं

countless calamities may this lonely soull befall
thse eyes shed copious tears is not a must at all

साहिर लुधियानवी




कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया

who does ever weep for others' sake my friend
everybody cries

साहिर लुधियानवी