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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

ये न जाने थे कि उस महफ़िल में दिल रह जाएगा
हम ये समझे थे चले आएँगे दम भर देख कर

i did not know that at her place my heart would choose to stay
I had thought a moments glance and we would come away

ममनून निज़ामुद्दीन




जो कोई आवे है नज़दीक ही बैठे है तिरे
हम कहाँ तक तिरे पहलू से सरकते जावें

whoever comes takes his place here right by your side
how long with this displacement from you shall I abide

मीर हसन




मुझ को थकने नहीं देता ये ज़रूरत का पहाड़
मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते

the mountain of my needs prevents me from being tired
my children don't permit me to be old and retired

मेराज फ़ैज़ाबादी




अब के जुनूँ में फ़ासला शायद न कुछ रहे
दामन के चाक और गिरेबाँ के चाक में

any difference, in this madness, there may just not be
tween collar torn in sadness or clothes rent in penury

मीर तक़ी मीर




बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदा
क़हर होता जो बा-वफ़ा होता

I sacrifice my heart upon your infidelity
were you faithful it would be a calamity

मीर तक़ी मीर




देख तो दिल कि जाँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ से उठता है

see if it rises from the heart or from the soul it flows
does anybody know the source from where this smoke arose?

मीर तक़ी मीर




दिल की वीरानी का क्या मज़कूर है
ये नगर सौ मर्तबा लूटा गया

why even mention of the heart's deserted state
this city's been looted a hundred times to date

मीर तक़ी मीर