इश्क़ करते हैं उस परी-रू से
'मीर' साहब भी क्या दिवाने हैं
he is in love with that angel face
what a crazy person is this mii
मीर तक़ी मीर
इश्क़ माशूक़ इश्क़ आशिक़ है
यानी अपना ही मुब्तला है इश्क़
both lover and beloved be
love's self-involved entirely
मीर तक़ी मीर
जब कि पहलू से यार उठता है
दर्द बे-इख़्तियार उठता है
when from my side my love departs
a gush of grief unbidden starts
मीर तक़ी मीर
जिस सर को ग़ुरूर आज है याँ ताज-वरी का
कल उस पे यहीं शोर है फिर नौहागरी का
the head that's held high today because it wears a crown
tomorrow, here itself, will in lamentation drown
मीर तक़ी मीर
जो इस शोर से 'मीर' रोता रहेगा
तो हम-साया काहे को सोता रहेगा
O Miir so loudly, if you continue to weep
how will your neighbor be able to stay asleep
मीर तक़ी मीर
क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़
जान का रोग है बला है इश्क़
what can I say of love to thee
soul's ailment and calamity
मीर तक़ी मीर
ले साँस भी आहिस्ता कि नाज़ुक है बहुत काम
आफ़ाक़ की इस कारगह-ए-शीशागरी का
breathe here softly as with fragility here all is fraught
in this workshop of the world where wares of glass are wrought
मीर तक़ी मीर