EN اردو
4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

मोहब्बत को समझना है तो नासेह ख़ुद मोहब्बत कर
किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता

if love you need to fathom, friend, in love you need to be
the storm cannot be felt by merely sitting by the sea

ख़ुमार बाराबंकवी




ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक
न लो इंतिक़ाम मुझ से मिरे साथ साथ चल के

your feet are tender, delicate, harsh are the paths of constancy
on me your vengeance do not wreak, by thus giving me company

ख़ुमार बाराबंकवी




आगे ही बिन कहे तू कहे है नहीं नहीं
तुझ से अभी तो हम ने वे बातें कही नहीं

ahead of time, before I speak, you do seek to deny
those matters that I haven't even started to imply

ख़्वाजा मीर 'दर्द'




कभू रोना कभू हँसना कभू हैरान हो जाना
मोहब्बत क्या भले-चंगे को दीवाना बनाती है

laughing, crying and at times spouting inanity
passion does render a wise person to insanity

ख़्वाजा मीर 'दर्द'




तर-दामनी पे शैख़ हमारी न जाइयो
दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वज़ू करें

do not be deceived by it damp disposition
if I wring my cloak, angels will do ablution

ख़्वाजा मीर 'दर्द'




ज़ालिम जफ़ा जो चाहे सो कर मुझ पे तू वले
पछतावे फिर तू आप ही ऐसा न कर कहीं

O cruel one any torture, on me implement
just refrain from actions which you may repent

ख़्वाजा मीर 'दर्द'




आइना ये तो बताता है कि मैं क्या हूँ मगर
आइना इस पे है ख़ामोश कि क्या है मुझ में

my physical external form, the mirror does reflect
but it does not revel my innermost aspect

कृष्ण बिहारी नूर