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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

हमें मालूम है हम से सुनो महशर में क्या होगा
सब उस को देखते होंगे वो हम को देखता होगा

on judgement day, let me say, I know how it will be
all eyes would be upon her and hers will be on me

जिगर मुरादाबादी




इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा
आदमी काम का नहीं होता

till love does not cause him disgrace
in this world man has no place

जिगर मुरादाबादी




जो न समझे नासेहो फिर उस को समझाते हो क्यूँ
साथ दीवाने के दीवाने बने जाते हो क्यूँ

why do you seek to moralize to those who do not comprehend
why with these lunatics do you become a lunatic my friend?

जिगर मुरादाबादी




किधर से बर्क़ चमकती है देखें ऐ वाइज़
मैं अपना जाम उठाता हूँ तू किताब उठा

where does lightening strike, priest, let us look
I will raise my glass you raise your holy book

जिगर मुरादाबादी




कुछ इस अदा से आज वो पहलू-नशीं रहे
जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे

she was in my embrace
I myself was lost as long she stayed with me

जिगर मुरादाबादी




लाख आफ़्ताब पास से हो कर गुज़र गए
हम बैठे इंतिज़ार-ए-सहर देखते रहे

a million suns have come and gone
still I sat waiting watching out for dawn

जिगर मुरादाबादी




आरिज़ों पर ये ढलकते हुए आँसू तौबा
हम ने शोलों पे मचलती हुई शबनम देखी

lord forbid that tears on your cheeks do flow
like dewdrops agonizing on embers all aglow

जोश मलसियानी