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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

sorrows other than love's longing does this life provide
comforts other than a lover's union too abide

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया

what else is there now for me to view
I have experienced being in love with you

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




दिल से तो हर मोआमला कर के चले थे साफ़ हम
कहने में उन के सामने बात बदल बदल गई

I ventured forth with all my thoughts properly arranged
In her presence when I spoke, the meaning had all changed

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के

This world has caused me to forget all thoughts of you
The sorrows of subsistence are more deceitful than you

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे

We will nourish the pen and tablet; we will tend them ever
We will write what the heart suffers; we will defend them eve

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




जब तुझे याद कर लिया सुब्ह महक महक उठी
जब तिरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गई

When your thoughts arose, fragrant was the morn
When your sorrow's woke, the night was all forlorn

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई
दिल था कि फिर बहल गया जाँ थी कि फिर सँभल गई

Query not my lonely night it came and went away
The heart was consoled and life managed not to fray

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़