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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

मैं उस के सामने से गुज़रता हूँ इस लिए
तर्क-ए-तअल्लुक़ात का एहसास मर न जाए

it is for this reason, I often pass her by
the pain of our breaking up, may not ever die

फ़ना निज़ामी कानपुरी




साहिल के तमाशाई हर डूबने वाले पर
अफ़्सोस तो करते हैं इमदाद नहीं करते

to a drowning person, they on the shores who stand
do lend their sympathy, but not a helping hand

फ़ना निज़ामी कानपुरी




इतनी पी जाए कि मिट जाए मैं और तू की तमीज़
यानी ये होश की दीवार गिरा दी जाए

the formality of you and I should in wine be drowned
meaning that these barriers of sobriety be downed

फ़रहत शहज़ाद




आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़'
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए

we came to the tavern all gay and frolicsome
now having drunk the wine, somber have become

फ़िराक़ गोरखपुरी




अब तो उन की याद भी आती नहीं
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ

nowadays even her thoughts do not intrude
see how forlorn and lonely is my solitude

फ़िराक़ गोरखपुरी




कह दिया तू ने जो मा'सूम तो हम हैं मा'सूम
कह दिया तू ने गुनहगार गुनहगार हैं हम

if you call me innocent then innocent I be
and if a sinner you proclaim, then sinner surely

फ़िराक़ गोरखपुरी




कोई आया न आएगा लेकिन
क्या करें गर न इंतिज़ार करें

she came not, nor is likely to
save waiting what else can I do

फ़िराक़ गोरखपुरी