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4 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

4 लाइन शायरी

446 शेर

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया
झूटी क़सम से आप का ईमान तो गया

for reasons of formality, I've chosen to believe
you have surely lost your faith when you so deceive

दाग़ देहलवी




ख़बर सुन कर मिरे मरने की वो बोले रक़ीबों से
ख़ुदा बख़्शे बहुत सी ख़ूबियाँ थीं मरने वाले में

upon my death she stated to my rivals, if you please
may God spare the parted soul had many qualities

दाग़ देहलवी




ख़ुदा की क़सम उस ने खाई जो आज
क़सम है ख़ुदा की मज़ा आ गया

when she swore on God today
I swear to God

दाग़ देहलवी




ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं

what coyness this is, to abide,a screen beside her face
which neither does she clearly hide nor openly display

दाग़ देहलवी




लिपट जाते हैं वो बिजली के डर से
इलाही ये घटा दो दिन तो बरसे

by lightning scared, she clings to me
may two days,Lord, this weather be

दाग़ देहलवी




लुत्फ़-ए-मय तुझ से क्या कहूँ ज़ाहिद
हाए कम-बख़्त तू ने पी ही नहीं

you've never drunk O hapless priest
The joys of wine how will you see

दाग़ देहलवी




मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है
मिरी जाँ चाहने वाला बड़ी मुश्किल से मिलता है

those who meet you lovingly then into dust you grind
those who bear affection, dear, are very hard to find

दाग़ देहलवी