EN اردو
बात मेरी कभी सुनी ही नहीं | शाही शायरी
baat meri kabhi suni hi nahin

ग़ज़ल

बात मेरी कभी सुनी ही नहीं

दाग़ देहलवी

;

बात मेरी कभी सुनी ही नहीं
जानते वो बुरी भली ही नहीं

she never did listen to me
twixt bad and good she cannot see

दिल-लगी उन की दिल-लगी ही नहीं
रंज भी है फ़क़त हँसी ही नहीं

her love's not only fun and games
there's sorrow too, not joy merely

लुत्फ़-ए-मय तुझ से क्या कहूँ ज़ाहिद
हाए कम-बख़्त तू ने पी ही नहीं

you've never drunk O hapless priest
The joys of wine how will you see

उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से
कभी गोया किसी में थी ही नहीं

as though, in none, did ever dwell
this world has shed fidelity

जान क्या दूँ कि जानता हूँ मैं
तुम ने ये चीज़ ले के दी ही नहीं

why should I give my life I know
this thing she takes and does not free

हम तो दुश्मन को दोस्त कर लेते
पर करें क्या तिरी ख़ुशी ही नहीं

my rival, even, I'd befriend
what could I do you didn't agree

हम तिरी आरज़ू पे जीते हैं
ये नहीं है तो ज़िंदगी ही नहीं

I just exist in hope of you
sans hope there is no life for me

दिल-लगी दिल-लगी नहीं नासेह
तेरे दिल को अभी लगी ही नहीं

Preacher, love is not a game
It hasn't touched your heart I see

'दाग़' क्यूँ तुम को बेवफ़ा कहता
वो शिकायत का आदमी ही नहीं

why should I say you are untrue?
complaining's not my style you see