था मुझे वहम-ओ-गुमाँ की वो फ़क़त मेरी है
और उस ने भी भरम मेरा बनाए रक्खा
अक्स समस्तीपूरी
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तू सिर्फ़ मेरी है उस का ग़ुरूर है मुझ को
अगर ये वहम मेरा है तो कोई बात नहीं
अक्स समस्तीपूरी
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उस ने यूँ रास्ता दिया मुझ को
रास्ते से हटा दिया मुझ को
अक्स समस्तीपूरी
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यार मैं इतना भूका हूँ
धोका भी खा लेता हूँ
अक्स समस्तीपूरी
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आए हो नुमाइश में ज़रा ध्यान भी रखना
हर शय जो चमकती है चमकदार नहीं है
आलम ख़ुर्शीद
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अब कितनी कार-आमद जंगल में लग रही है
वो रौशनी जो घर में बेकार लग रही थी
आलम ख़ुर्शीद
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अहल-ए-हुनर की आँखों में क्यूँ चुभता रहता हूँ
मैं तो अपनी बे-हुनरी पर नाज़ नहीं करता
आलम ख़ुर्शीद
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